Sunday 17 October 2021

शिलाई में दलित कॉलेज छात्रा बलात्कार के मामले में पुलिस के हत्थे चढ़ा आरोपी, 10 दिनों से फरार था आरोपी,

 

समाजसेवी लीलाधर चौहान ने पुलिस अधीक्षक सिरमौर का जताया आभार

AAS 24news

विशेष संवाददाता ,पांवटा साहिब

जिला सिरमौर के शिलाई के बहुचर्चित दलित कॉलेज छात्रा बलात्कार मामले में पुलिस ने आरोपी यश ठाकुर को गिरफ्तार कर लिया है जिसकी पुष्टि पुलिस अधीक्षक सिरमौर उमापति जमवाल ने की है । उन्होंने बताया कि आरोपी को पुलिस द्वारा सोमवार यानी आज शिलाई की अदालत में पेश किया जाएगा।

डीएसपी पोंटा वीर बहादुर से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस की मानें तो आरोपी को बाता चैक पर उस समय गिरफ्तार किया गया, जब वो एक निजी वाहन का इंतजार कर रहा था, ताकि उत्तराखंड की सीमा में दाखिल हो सके। 

बता दें कि मामला दर्ज होने के बाद 10 दिन बाद आरोपी को पुलिस ने पकड़ा है । जानकारी के अनुसार 7 अक्टूबर 2021 को शिलाई थाने में मामला दर्ज किया गया था जहां पुलिस ने धारा 323, 341 और 354 में मामले को सीमित रखा जबकि लड़की बलात्कार होने की बात कह रही थी मगर पुलिस द्वारा पीड़िता की शिकायत फाड़ कर मामले को दबाने की भरपूर कोशिश भी की थी । पीड़ित पक्ष ने मामले को सिरमौर जिला से संबंध रखने वाले अखिल भारतीय युवा कोली समाज के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष रणबीर चौहान के ध्यान में लाया । रणवीर चौहान ने मामले को संगठन के प्रदेश अध्यक्ष लीलाधर चौहान के ध्यान में लाया।

बता दें कि लीलाधर चौहान पिछले 20 वर्षों से शोषित समाज के मुद्दों को सरकार और प्रशासन के समक्ष गंभीरता से रखते आए हैं जिससे कि समाज के लोगों को न्याय प्रदान हुआ है। लीलाधर चौहान ने पुलिस अधीक्षक सिरमौर, पुलिस महानिदेशक शिमला तथा मुख्यमंत्री के ईमेल पर इस मामले संबंधी शिकायत पत्र भेजा । इस दौरान पुलिस अधीक्षक छुट्टी पर थे तो उन्होंने इस मामले को टेलीफोन के माध्यम 7 अक्टूबर शाम के समय अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बबीता राणा के ध्यान में लाया गया था जिसके आधार पर थाना प्रभारी शिलाई को पीड़िता के बयान दोबारा लेने का आदेश दिया गया थे मगर थाना प्रभारी ने भी वही किया जो उनके कर्मियों ने किया था। थाना प्रभारी ने भी धारा 323, 341 तथा 354 के तहत ही कार्यवाही अमल में लाई तथा इसी आधार पर 9 अक्टूबर को थाना प्रभारी के माध्यम पीड़िता के बयान कोर्ट के समक्ष करवाए गए जिसके आधार पर अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम की धारा 3 इसमें जोड़ी गई। पीड़ित छात्रा ने बताया कि पुलिस द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट में उससे पूछताछ की गई हालांकि पीड़ित लड़की ने अपनी शिकायत को कोर्ट रूम में जज को देने की गुजारिश की थी मगर सहमति नहीं हुई जिससे पीड़िता आत्महत्या करने पर मजबूर हो गई थी ।

लीलाधर चौहान ने 9 अक्टूबर को टेलीफोन के माध्यम पुलिस अधीक्षक सिरमौर उमापति जमवाल से मामले संबंधी वार्ता की तथा पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। पुलिस अधीक्षक द्वारा थाना प्रभारी सहित अन्य कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही अमल में लाई गई तथा डीएसपी वीर बहादुर को लड़की के बयान लेने हेतु आदेश दिया गया मगर डीएसपी साहब भी 10 अक्टूबर को पूरा दिन पीड़ित परिवार से नहीं मिला। इस दौरान लीलाधर चौहान ने अपने संगठन के समस्त प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों को 11 अक्टूबर पुलिस अधीक्षक कार्यालय सिरमौर प्रदर्शन के लिए बुलाया था हालांकि पीड़िता को हाईकोर्ट ले जाने के लिए परिजन तथा संगठन के लोग तैयार हो गए थे।

इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष ने अपने संगठन के जिला सिरमौर से संबंध रखने वाले प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष रणवीर चौहान, जिला अध्यक्ष रघुवीर चौहान, जिला सचिव रणदीप सहित अन्य पदाधिकारियों को पुलिस अधीक्षक से मिलकर एक ज्ञापन देकर आगामी कार्यवाही मांगी।

ज्ञापन के आधार पर 11 अक्टूबर को पुलिस अधीक्षक ने स्वयं पीड़िता का बयान पोंटा डीएसपी कार्यालय में लिया जिसमें लड़की के बयान के आधार पर धारा 376 सहित पोक्सो एक्ट भी जोड़ा गया।


मामला, इस कारण संगीन है क्योंकि पीड़िता न केवल अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखती है, बल्कि वारदात के वक्त वो नाबालिग भी थी। पीड़िता को मोबाइल में बनाई गई वीडियो क्लिप से ब्लैकमेल करने की कोशिश का भी आरोप है। 


शुरूआती चरण में पुलिस ने रास्ता रोकने का साधारण मामला दर्ज किया था। बाद में एससी व एसटी एक्ट की धाराओं को शामिल किया गया। तीसरे चरण में आईपीसी की धारा-376 के अलावा पोक्सो एक्ट की धाराओं को भी शामिल कर लिया गया। चूंकि मामला, एससी/एसटी एक्ट के तहत भी था, लिहाजा जांच की जिम्मेदारी डीएसपी के सुपुर्द हुई है।

क्या कहते हैं लीलाधर चौहान:-

मामले संबंधी जानकारी देते हुए अखिल भारतीय युवा कोली समाज के प्रदेश अध्यक्ष एवं समाज के कार्यकर्ता लीलाधर चौहान ने बताया कि इस मामले को शिलाई थाना की पुलिस ने पहले दिन ही दबा दिया था जिससे पुलिस की कार्यवाही पर सवाल तो उठते हैं मगर अफसोस कि ऐसे पुलिस वालों के खिलाफ कार्रवाई अमल में नहीं लाई जाती जिससे बार-बार ऐसे गरीबों से जुड़े हुए मामले दफन हो जाएंगे।

उन्होंने पुलिस अधीक्षक सिरमौर उमापति जमवाल तथा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बबीता राणा का आभार जताया है जिन्होंने इस मामले में उनके संगठन के पदाधिकारियों का सहयोग किया है। लीलाधर चौहान ने बताया कि प्रदेश में जितने भी अत्याचार दलित परिवार से होते हैं तो ज्यादातर देखा गया है कि थाने से लेकर डीएसपी रैंक के अधिकारी दलित शोषण मामलों पर रुकावट पैदा करते हैं जिन पर कार्यवाही अमल में लाए जाना अति आवश्यक है। उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से आग्रह किया है कि एट्रोसिटी मामले पर प्रदेश के समस्त पुलिस अधीक्षकों को कड़े निर्देश जारी करें अन्यथा आने वाले समय में एक बड़ा आंदोलन होगा।

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