Saturday, 1 May 2021

बी डी ओ करसोग का निलंबन शासन व्यवस्था के लिए अनिवार्य.

पुलिस की नकारात्मक भूमिका जातिगत भेदभाव एवं अत्याचारों को दे रही बढ़ावा: लीलाधर चौहान

कोरोना योद्धा सफाई कर्मचारी को खंड विकास अधिकारी ने किया अपमानित. दर्ज

AAS 24newsपडोह, 1मई 
   बालक राम

हिमाचल प्रदेश में महिलाओं के साथ उत्पीड़न और अत्याचार निरंतर बढ़ता जा रहा है। जिसमें सबसे ज्यादा  अनुसूचित जाति की कामगार महिलाएं अत्याधिक प्रताड़ित हो रही है, अपमानित हो रही है। लोगों के हक अधिकारों और जान माल के  संरक्षण में हिमाचल प्रदेश की पुलिस जहां नाकाम होती देखी जा रही है वहीं पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने में भी पुलिस की नकारात्मक भूमिका अत्याचारों को मानो संरक्षण दे रही है। इसका ज्वलंत उदाहरण मंडी जिला के दुर्गम क्षेत्र करसोग में एक सफाई कामगार निर्धन अनुसूचित जाति महिला के साथ खंड विकास अधिकारी का अमानवीय व्यवहार- आचरण और मानसिक उत्पीड़न का मामला सामने आया है। शुक्रवार को हिमाचल के नागर समाज संगठनों के अगुआ लोगों ने एक वर्चुअल मीटिंग करते हुए इस पूरे मामले की निंदा करते हुए पीड़ित महिला को अति शीघ्र न्याय दिलाने और आरोपी अधिकारी को तुरंत प्रभाव से निलंबित करने की मांग की है। इतना ही नहीं इन संगठनों ने आरोपी खंड विकास अधिकारी पर वैश्विक महामारी कोरोनावायरस की विभिन्न धाराओं में भी मामला दर्ज करने की अपील की है। जांचकर्ता डीएसपी को निष्पक्ष जांच के लिए अति शीघ्र स्थानांतरित करने की भी मुख्यमंत्री से अपील की है। जिससे कोरोनावायरस योद्धा सफाई कामगारों को नई ऊर्जा और उत्साह मिले। तथा वे अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए आम जनमानस को इस महामारी से सुरक्षित कर सकें। 
सफाई कामगार अभियान के राज्य अध्यक्ष विशंभर ने इस घटना की निंदा करते हुए मुख्यमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए पीड़ित महिला को न्याय दिलाने की मांग की है। वहीं उन्होंने कहा कि खंड विकास अधिकारी के अमानवीय कृत्य और अभद्र शब्दावली से समूचा सफाई कामगार समाज आहत हुआ है। इन्होंने मांग करते हुए कहा कि यदि आरोपी अधिकारी को तुरंत प्रभाव से निलंबित नहीं किया गया तो सफाई कामगार यूनियन अपने- अपने क्षेत्रों में सफाई काम को बंद करते हुए अपना विरोध दर्ज करेगी। 
जबकि पर्वतीय दलित महिला अधिकार मंच की प्रदेश कन्वीनर विमला प्रेमी ने खंड विकास अधिकारी की कार्यप्रणाली व्यवहार और उनकी मानसिकता पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि जो अधिकारी निर्धन लोगों की सेवा के लिए तैनात किए गए हैं यदि वे ही उन्हें डराने लगे जाति के नाम पर प्रताड़ित करने लगे और उनके मूलभूत अधिकारों को छीनने लगे तो ऐसे अधिकारी का पद पर रहना किसी भी प्रकार से जन हित में नहीं है। कोरोनावायरस के इस काले दौर में भी यदि खंड विकास अधिकारी अपने अधीनस्थ निम्न सफाई कर्मचारी वह भी निर्धन अनपढ़ महिला के साथ अभद्र व्यवहार करता है जातिगत उत्पीड़न करता है ऐसे अधिकारी को तुरंत पद से हटा दिया जाना चाहिए। 
वही उन्होंने खंड विकास अधिकारी के जो इस मामले के आरोपी हैं के दबाव में चंद प्रधानों व  कर्मचारियों का आना दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। इनके खिलाफ भी पुलिस में मामला दर्ज किया जाना चाहिए। 
 सामाजिक आर्थिक समानता के लिए जन अभियान के राष्ट्रीय कन्वीनर सुखदेव विश्व प्रेमी ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि सफाई कामगार जहां हमें स्वच्छ वातावरण प्रदान करते हैं। वही कोरोना के काले दौर में भी अपनी जान की बाजी लगाते हुए हमें सुरक्षित करने में जुटे हैं। गंदी जातिवादी मानसिकता के शिकार, गरीबी का मजाक उड़ाने वाले अधिकारी  कामगार महिला को उसकी जाति-काम को लेकर अपमानित कर रहे हैं। जो आज के दौर में बड़ा घृणित अपराध है। 
जबकि अखिल भारतीय युवा कोली समाज के प्रदेश अध्यक्ष लीलाधर चौहान ने इस घटना को अमानवीय करार दिया है। उन्होंने कहा कि एक तरफ जातिवादी मानसिकता के अत्याचार और उत्पीड़न से महिला परेशान है तो वही पुलिस के आला अधिकारी की कारगुजारी भी सवालों के घेरे में है। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति समुदाय के साथ जाति आधारित उत्पीड़न उस पर पुलिस का नकारात्मक व्यवहार पीड़ित को मरने पर विवश कर देता है, मानसिक प्रताड़ना देता है, जो सबसे बड़ी चिंता है। उन्होंने कहा कि पुलिस की नकारात्मक कार्यवाही को चिंताजनक बताया है कि जब भी किसी गरीब एवं अनुसूचित जाति वर्ग के मामले को पुलिस  जांच करती है  तो अक्सर देखा गया है कि पीड़ित पक्ष पर दबाव बनाया जाता है ,यहां तक कि उसके द्वारा पेश किए गए सबूतों को अनदेखा किया जाता है।
इसके विपरीत अगर अनुसूचित जाति के किसी संगठन के अध्यक्ष या पदाधिकारी के खिलाफ थाने में कोई शिकायत लेकर आए तो 9-10 धाराओं में झूठे साक्ष्य पेश करके मामला दर्ज किया जाता है ताकि अनुसूचित जाति के समाज सेवक का नाम बदनाम हो जाए।

उन्होंने पुलिस की इस कार्यवाही पर जवाब देते हुए कहा है कि कितना अच्छा होता यदि पुलिस इसी तरह गरीब और अनुसूचित जाति के मामलों पर भी ध्यान देती जिस तरह समाजसेवियों को हर आश्वा हताश किया जा रहा है ,तो शायद ये अत्याचार काफी हद तक कम हो जाते।
 रविदासिया समाज के अगुआ समाजसेवी चंद्रमणि ने इस घटना को अमानवीय उत्पीड़न का एक नया प्रचलन करार दिया है। 
वही अंबेडकर मिशन इंस्टिट्यूशन ऑफ टीचिंग अमिट के प्रदेशाध्यक्ष हरिदास चौहान ने इस घटना को जहां सफाई कामगारों पर अफसरशाही का तानाशाही व्यवहार बताया वही उन्होंने इसे जाति उत्पीड़न का घिनोना अत्याचार बताया।उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में अनुसूचित जाति समुदाय के साथ बढ़ते अत्याचार हमारी कानून व्यवस्था और देव भूमि परंपरा पर सवालिया निशान है। 
जबकि समाजसेवी बी आर भाटिया ने इस घटना को सफाई कामगार समाज के साथ अफसरशाही की बढ़ती घृणा व जातिवादी मानसिकता का  ज्वलंत अत्याचार बताया है। उन्होंने समाज में इस तरह की घटना की पुनरावृति रोकने के लिए प्रदेश सरकार को सक्रियता के साथ कानूनी कार्यवाही अमल में लानी होगी। सभी संगठनों ने इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा की है। तथा करसोग प्रशासन के संरक्षण में बढ़ता जातिवादी -उत्पीड़न को अत्याचार बताया है। 
सभी संगठनों ने मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश से मांग करते हुए कहा है कि इस मामले में आरोपी खंड विकास अधिकारी को तुरंत प्रभाव से निलंबित किया जाए। जिससे एक निष्पक्ष जांच हो सके । पीड़ित महिला को न्याय मिल सके। तथा आहत सफाई  कामगार महिलाओं एवं अनुसूचित जाति वर्ग में प्रशासन और न्याय के प्रति विश्वास बना रह सके। 
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