Friday, 12 November 2021

महिला सशक्तिकरण समय की जरूरत: सूर्य प्रकाश

 महिला सशक्तिकरण समय की जरूरत: सूर्य प्रकाश

AAS 24newsथुनाग

लीलाधर चौहान

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण और राष्ट्रीय महिला आयोग के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को थुनाग के पंचायत भवन में महिला सशक्तिकरण’ पर जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव व एसीजेएम सूर्य प्रकाश, रिसोर्स पर्सन अधिवक्ता हेमसिंह ठाकुर और कंचन गौतम वत्सी ने महिला सशक्तिकरण पर विचार रखे।  एसीजेएम सूर्य प्रकाश ने कहा कि महिला सशक्तिकरण  के बारे में जानने से पहले हमें ये समझ लेना चाहिए कि हम ‘सशक्तिकरण’से क्या समझते है। ‘सशक्तिकरण’ से तात्पर्य किसी व्यक्ति की उस योग्यता से है जिसमें वो अपने जीवन से जुड़े सभी निर्णय स्वयं ले सके।

‘महिला सशक्तिकरण’ हम उसी क्षमता की बात कर रहे हैं, जहाँ महिलाएँ परिवार और समाज के सभी बंधनों से मुक्त होकर अपने निर्णयों की निर्माता खुद हो। उन्होंने बताया कि राष्ट्र के विकास में महिलाओं का महत्त्व और अधिकार के बारे में समाज में जागरुकता लाने के लिये मातृ दिवस, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस आदि जैसे कई सारे कार्यक्रम सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं। महिलाओं को कई क्षेत्र में विकास की जरुरत है।

उन्होंने कहा कि हम सभी को महिलाओं का सम्मान करना चाहिए, उन्हें आगे बढ़ने का मौका देना चाहिए। इक्कीसवीं सदी नारी जीवन में सुखद सम्भावनाओं की सदी है। महिलाएँ अब हर क्षेत्र में आगे आने लगी हैं। आज की नारी अब जाग्रत और सक्रीय हो चुकी है। किसी ने बहुत अच्छी बात कही है “नारी जब अपने ऊपर थोपी हुई बेड़ियों एवं कड़ियों को तोड़ने लगेगी, तो विश्व की कोई शक्ति उसे नहीं रोक पाएगी।” वर्तमान में नारी ने रुढ़िवादी बेड़ियों को तोड़ना शुरू कर दिया है। यह एक सुखद संकेत है। लोगों की सोच बदल रही है, फिर भी इस दिशा में और भी प्रयास करने की आवश्यकता है।

अधिवक्ता हेमसिंह ठाकुर ने कहा कि आज के आधुनिक समय में महिला सशक्तिकरण एक विशेष चर्चा का विषय है। हमारे आदि– ग्रंथों में नारी के महत्त्व को मानते हुए यहाँ तक बताया गया है कि "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:" अर्थात जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते है।

लेकिन विडम्बना तो देखिए नारी में इतनी शक्ति होने के बावजूद भी उसके सशक्तिकरण की अत्यंत आवश्यकता महसूस हो रही है। महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का अर्थ उनके आर्थिक फैसलों, आय, संपत्ति और दूसरे वस्तुओं की उपलब्धता से है, इन सुविधाओं को पाकर ही वह अपने सामाजिक स्तर को ऊँचा कर सकती हैं।

उन्होंने कहा कि स्त्री को सृजन की शक्ति माना जाता है अर्थात स्त्री से ही मानव जाति का अस्तित्व माना गया है। इस सृजन की शक्ति को विकसित-परिष्कृति कर उसे सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक न्याय, विचार, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, अवसर की समानता का सु-अवसर प्रदान करना ही नारी सशक्तिकरण का आशय है।

दूसरे शब्दों में – महिला सशक्तिकरण का अर्थ महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है। ताकि उन्हें रोजगार, शिक्षा, आर्थिक तरक्की के बराबरी के मौके मिल सके, जिससे वह सामाजिक स्वतंत्रता और तरक्की प्राप्त कर सके। यह वह तरीका है, जिसके द्वारा महिलाएँ भी पुरुषों की तरह अपनी हर आकंक्षाओं को पूरा कर सके।

अधिवक्ता कंचन गौतम वत्सी ने बताया कि भारत में, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को मारने वाली उन सभी राक्षसी सोच को मारना जरुरी है, जैसे – दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन हिंसा, असमानता, भ्रूण हत्या, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, वैश्यावृति, मानव तस्करी और ऐसे ही दूसरे विषय।

अपने देश में उच्च स्तर की लैंगिक असमानता है। जहाँ महिलाएँ अपने परिवार के साथ ही बाहरी समाज के भी बुरे बर्ताव से पीड़ित है। भारत में अनपढ़ो की संख्या में महिलाएँ सबसे अव्वल है।

उन्होंने कहा कि नारी सशक्तिकरण का असली अर्थ तब समझ में आयेगा जब भारत में उन्हें अच्छी शिक्षा दी जाएगी और उन्हें इस काबिल बनाया जाएगा कि वो हर क्षेत्र में स्वतंत्र होकर फैसले कर सकें।

आसान शब्दों में महिला सशक्तिकरण को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है कि इससे महिलाओं में उस शक्ति का प्रवाह होता है, जिससे वो अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती हैं और परिवार और समाज में अच्छे से रह सकती हैं। समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना ही महिला सशक्तिकरण है।

शिविर में विभिन्न विभागों में कार्यरत महिला कर्मचारियों और आंगनबाड़ी वर्कर्स ने भाग लिया। इस मौके पर ग्राम पंचायत थुनाग के प्रधान धनेश्वर सिंह, अधिवक्ता ललित ठाकुर, कुलदीप ठाकुर और अधिवक्ता मुरारी लाल भी मौजूद रहे।

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